याद है माँ
याद है माँ जब हम साथ बाजार जाया करते थे
तो मै किस तरह तेरा पल्लू पकड़ कर पीछे चलता था ||
कहि से थका हारा घर आता
तो सब से एक ही सवाल पूछा करता था
" माँ कहा है "
न जाने कैसे तुझे देखने के बाद सारा थकान दूर हो जाता था ||
याद है माँ सुबह उठ के किस तरह रोटी बनाती
और दो खाने के बाद तीसरा जबरदस्ती खिलाती ||
तेरी बाहों को अपना तकिया बना के सो जाता
और किस्से ,कहानियो में किस तरह खो जाता ||
माँ सारा दुःख किस तरह तुम सहम कर लेती हो
मै हमेशा खुश रहु , हसने का नाटक करती हो||
माँ तुम तो समुन्दर की तरह हो
सारा दुःख खुद सहम कर लेती हो ||
शायद जिस भगवान को हम पत्थर की मूर्तियों मे ढूँढ़ते है
माँ वो भगवन तुम ही हो.............................. A small love for all mother who daily work for us without any frustation love you all Mom,s {ANKIT PANDEY}
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