हवा रोज सुबह ऐसी आये सबकी चाहत कि प्यास बुझाये,
बुनते रहे हम सच की इमारत, ये है मेरे सपनो का भारत।
बिजली से हर घर रोशन हो..
विश्वास की धारा सब मे हो.
भूका पेट कोई ना सोये ..
निर्छलता सब मे हो
बुनते रहे हम सच की इमारत
ये है मेरे सपनो का भारत।।
काश एक दिन ऐशा aaye महँगाई भी खत्म हो जाये।
बुनते रहे हम सच की इमारत
ये है मे्रे सपनों का भारत।
MY SELF
( ANKIT PANDEY)
बुनते रहे हम सच की इमारत, ये है मेरे सपनो का भारत।
विश्वास की धारा सब मे हो.
भूका पेट कोई ना सोये ..
निर्छलता सब मे हो
बुनते रहे हम सच की इमारत
ये है मेरे सपनो का भारत।।
Paड़ो की छाया ना मिट जाये
अपनों मैं हि हम ना भीड़ जायेकाश एक दिन ऐशा aaye महँगाई भी खत्म हो जाये।
बुनते रहे हम सच की इमारत
ये है मे्रे सपनों का भारत।
MY SELF
( ANKIT PANDEY)
Hard hai
ReplyDeleteNice lines keep it up and allah bless you brother jai bhart
ReplyDeleteTopic is too good Ankit sir.
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